नाचती चिंगारियां: आबिद रिज़वी
पल्प साहित्य और कॉमिक्स प्रेमी पाठकों में से शायद ही कोई ऐसा होगा जो आबिद रिजवी जी नही जानता ।
आबिद रिजवीजी हिंदी पल्प साहित्य के उस दौर के लेखक है ,जिस दौर को लोकप्रिय साहित्य और कॉमिक्स कल्चर के युग का स्वर्णकाल कहा जाता था।
हालाँकि आज का दौर और उस ज़माने में जमीन आसमान का अंतर है. लेकिन अभी भी आबिद रिज्बी साहब अपनी लेखनी द्वारा साहित्य साधना में लगे हुए हैं और हाथ ही नये लेखकों को प्रेरणा भी दे रहे है ।
रिज़वी साहब की कलम तब से चल रही है जब आबिद जी हाईस्कूल में पढ़ रहे थे ।
रिज़वी की की पहली कहानी 'जगुवा की माँ' 'मृणालिनी' पत्रिका में छपी थी और वर्ष था १९६० .
और उस दौर से आज तक आबिद जी ने हिंदी / उर्दू में कई किताबें लिखी, कई कॉमिक्स नायक गढ़े और लेखन की दुनियां के कई सारे कीर्तिमान रचे ।
हर उम्र व वर्ग के पाठकों के बीच इनकी किताबे काफी लोकप्रिय हुई .
और चिंगारी श्रृंखला की किताबे पाठकों द्वारा काफी सराही जा चुकी है ..
और ख़ुशी की बात ये है कि एक बार फिर से आबिद की जी ये किताबें flydreams प्रकाशन द्वारा पुनः प्रकाशित की जा रही है ।
'नाचती चिंगरियाँ'
'नाचती चिंगरियाँ' २ किताबों का संयुक्त संकलन है। इसमें आपको आपको चिंगारियों का नाच व चिंगारियों के देश में ..दो प्रसिद्द किताबे ,एक ही किताब में पढने को मिल जाएगी. जो कि हिंदी साहित्य के पाठकों के लिए 'सोने पर सुहागा' जैसा ऑफर है ।
फिलहाल अभी इसका प्री -आर्डर चल रहा है . और जल्द ही ये पुस्तक पाठकों तक पहुचने वाली है ।
लेकिन, अगर आप आज ही अपनी प्रति बुक करवाते हो, तो आपके पास एक सुनहरा मौका है, आबिद जी द्वारा हस्ताक्षरित सीमित प्रतियों में से एक प्रति को पाने का!
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ऑफर केवल प्री-बुकिंग पर उपलब्ध।
किताब के बारे में:-
छः साल बाद लंदन से पढ़ाई ख़त्म करके वापिस लौट रहे सुपरिटेण्डेन्ट फैयाज़ के बेटे वहीद, जिसके स्वागत में कर्नल विनोद, कैप्टन हमीद, अली इमरान, विशाल उर्फ ब्लैक टाइगर और सर सुल्तान जैसे भारत की सीक्रेट सर्विस तथा मिलिट्री इंटेलिजेंस के धुरंधर सुरमा खड़े थे। वह इसलिए क्योंकि वहीद के पास एक ऐसी बेशकीमती दुर्लभ मूर्ति थी, जो चाबी थी हजारों साल पुरानी और विलुप्त हो चुकी सभ्यता के रहस्यों और खज़ानों की। जिसके पीछे थे फोमांचू, मैडम शिवाना और ओमर शरीफ़ जैसे अंतराष्ट्रीय अपराधी।
वह स्थान जिसे 'चिंगारियों का देश' के नाम से जाना जाता था। पहाड़ियों के गर्भ में दबे उस देश में, आधी रात के बाद चारों तरफ़ इस तरह से चिंगारियाँ उभरती हुई दिखाई देतीं जैसे छोटे-छोटे ज्वालामुखी फूट रहे हों।
क्या हुआ जब ये सारे धुरंधर चल पड़े उस वर्षों पुरानी विलुप्त सभ्यता का रहस्य जानने के लिए?
लोकप्रिय साहित्य के सुप्रसिद्ध लेखक 'आबिद रिज़वी' का करिश्माई लेखन- 'नाचती चिंगरियाँ'
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6 टिप्पणियाँ
बढिया जानकारी।
जवाब देंहटाएंलेख पढ़ने के लिए धन्यवाद मनमोहन जी
हटाएंजानकारी के लिए धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंलेख पढ़ने के लिए आपका भी धन्यवाद शास्त्री जी
हटाएंजानकारी देने के लिए धन्यवाद .पुस्तक बहुत ही पठनीय है .
जवाब देंहटाएंहिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
धन्यवाद सर!
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